Thursday 26 February 2015

छत्तरपुर-कात्यायनी देवी-यात्रा दिल्ली की

गतांक से आगे

छत्तरपुर-कात्यायनी देवी-यात्रा दिल्ली की 

यहाँ से हमने छत्तरपुर की ओर प्रयाण किया | यहाँ माता दुर्गा का एक अति प्रसिद्ध मंदिर है, जिसे कात्यायनी देवी का मंदिर भी कहा जाता है | मंदिर में माता दुर्गा की संगमरमर की मूर्ति प्रतिष्ठित है और मंदिर आधुनिक होते हुए भी प्राचीन शिल्प-कला की झलक प्रस्तुत करता है | परिसर में अति प्राचीन एक वृक्ष है और अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियाँ भी स्थापित हैं | छत्तरपुर के इस मंदिर का दर्शन करने के उपरांत बगल में काफी सीढियां चढ़ने के पश्चात गणेश-लक्ष्मी जी के मंदिर गये | यहाँ गणेशजी-लक्ष्मीजी का विग्रह पद्मासन मुद्रा में अवस्थित है | 

क्रमश:

संपत देवी मुरारका
अध्यक्षा: विश्व वात्सल्य मंच
लेखिका यात्रा विवरण
मीडिया प्रभारी
हैदराबाद




इस्कॉन मंदिर-यात्रा दिल्ली की

गतांक से आगे

इस्कॉन मंदिर-यात्रा दिल्ली की 


यहाँ से हम आधुनिक पाश्चात्य और भारतीय शिल्प कला की एक सुन्दर प्रतिकृति इस्कॉन मंदिर देखने पहुँचे | यह मंदिर ‘हरे रामा हरे कृष्णा’ संस्था के देशी-विदेशी शिष्यों और सदस्यों द्वारा निर्मित किया गया है | मंदिर एक छोटी पहाड़ी पर संत नगर में स्थित है | इस मंदिर का परिसर बहुत विशाल है और सुन्दर बगीचे से घिरा है | मंदिर की विशालता भी उसी के समकक्ष है | मंदिर में सुन्दर संगमरमर निर्मित राधाकृष्ण की मूर्ति प्रतिष्ठित है | यहाँ की आरती बहु भव्य और मनमोहक होती है | जब भक्तगण विभोर होकर कीर्तन करते हुए नाचने लगते हैं, तो वह दृश्य दर्शनीय होता है | यहाँ ठहरने की भी सुविधा है |

क्रमश:

संपत देवी मुरारका
अध्यक्षा: विश्व वात्सल्य मंच
लेखिका यात्रा विवरण
मीडिया प्रभारी
हैदराबाद

समाधियाँ स्थल-यात्रा दिल्ली की

गतांक से आगे 
समाधियाँ स्थल-यात्रा दिल्ली की 
राजघाट, यह स्थान लाल किले के पीछे रिंग रोड़ पर और फिरोजशाह कोटला के उत्तर-पूर्व में स्थित है | यह स्थान पूज्य महात्मा गांधी की समाधि होने के नाते प्रसिद्ध है | अंग्रेजों के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम का अहिंसक संचालन बाद बापू ने देश को आजाद कराया था, लेकिन 30 जनवरी 1948 को एक सिरफिरे हिन्दूवादी नाथूराम गोडसे ने उन्हें गोली मार दी थी | तब इसी स्थान पर उनका दाह-संस्कार किया गया था और सुन्दर काले संगमरमर से उनकी एक भव्य समाधि का निर्माण कराया गया था | राष्ट्रपति महात्मा गांधी की इस समाधि का दर्शन करने भारत की यात्रा करने वाले विदेशी राजनयिक और राष्ट्राध्यक्ष निरंतर आते रहते हैं | इस कारण इस समाधि को देश के राष्ट्रीय जीवन में गौरव का प्रतिक माना जाता है | महात्मा गांधी के जीवन का अंतिम वाक्य ‘हे राम!’ इस समाधि पर खुदा है, जिसका उच्चारण उन्होंने गोली लगने के बाद किया था | यह समाधि-स्थल परम शान्ति दायक है और चारों तरफ से हरे-भरे उद्यान से घिरा हुआ है | राजघाट से ही संलग्न यमुना के तट पर कुछ अन्य विशिष्ट लोगों की भी समाधियाँ हैं, जैसे ‘शांतिवन’ में देश के प्रधानमंत्री पं.जवाहरलाल नेहरू की, ‘विजय घाट’ पर पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री, ‘शक्ति स्थल’ पर पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी और ‘वीरभूमि’ में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की | ये सभी समाधियाँ देश के गौरव का प्रतीक चिह्न है | सबका निर्माण सुन्दर संगमरमर के पत्थरों से किया गया है और सभी सुन्दर पुष्पित वाटिकाओं से घिरे हुए हैं | 

क्रमश:

संपत देवी मुरारका
अध्यक्षा: विश्व वात्सल्य मंच
लेखिका यात्रा विवरण
मीडिया प्रभारी
हैदराबाद

शीशगंज गुरुद्वारा-यात्रा दिल्ली की




शीशगंज गुरुद्वारा-यात्रा दिल्ली की 

गतांग से आगे
चाँदनी चौक चौरस्ता के मध्य में गुरुद्वारा शीशगंज स्थित है | सिख संप्रदाय के लोग इस गुरूद्वारे को बहुत महत्त्वपूर्ण मानते हैं | यहाँ सन् 11 नवंबर 1675 ई. में औरंगजेब के आदेश से गुरु तेगबहादुर की एक वृक्ष के नीचे शहादत हुई थी और जल्लाद ने उनका शीश धड़ से अलग कर दिया था | जिस स्थान पर उनका शीश गिरा था आज वहाँ गुरुद्वार है | गुरुद्वारा में निरंतर शबद-कीर्तन और लंगर की व्यवस्था चलती रहती है | आज भी वह वृक्ष है, जो तेगबहादुर के शीश की याद दिलाता है | हमारे जत्थे ने भी पूरी श्रद्धा के साथ यहाँ माथा टेका, बाद में प्रसाद और लंगर भी ग्रहण किया | यहाँ से हम यमुना नदी के तट पर स्थित राजघाट पहुँचे |


क्रमश:

संपत देवी मुरारका
अध्यक्षा: विश्व वात्सल्य मंच
लेखिका यात्रा विवरण
मिडिया प्रभारी
हैदराबाद