Saturday, 27 July 2013

‘लंकावी द्वीप की यात्रा’




लंकावी द्वीप की यात्रा

हमारी सिंगापुर की यात्रा पूरी हो चुकी थी | अब हमें इसी जलयान से मलेशिया की ओर प्रयाण करना था | जलयान क्या था एक सुविधा संपन्न पाँच सितारा होटेल था, जिसमें यात्रियों के लिए सभी आधुनिक सुविधायें उपलब्ध थीं | सुस्वादु शाका-हारी भोजन तो उपलब्ध था ही, इसके अलावा धार्मिक रूचि के लोगों के लिए कथा -वार्ता के आयोजन भी नियमित तौर पर जलयान के विशाल डेक पर होते रहते थे | चूंकि मैं स्वयं एक धार्मिक प्रवृत्ति की महिला हूँ, इसलिए मेरा समय इन्हीं कथा- वार्ताओं के संसर्ग में व्यतीत हो रहा था | इसी क्रम में जलयान अथाह समुद्र की उत्ताल तरंगों पर आकाश में उड़ते पंक्षी की तरह अपने गंतव्य-पथ पर आगे बढ़ा जा रहा था |

इसी यात्रा में हमारा पहला पड़ाव लंकावी द्वीप पर होना था | मंगलवार 24  जून  2008  को जलयान इस द्वीप तक पहुँच भी गया | दिन के 10 बजे होंगे जब समुद्र तट के किनारे जलयान ने लंगर डाला | सभी यात्रियों ने जलयान पर उपलब्ध हल्का-फुल्का नाश्ता किया और फिर अपने केबिन के असेस कार्ड की इंट्री कराने के लिए निकल पड़े | लगभग सभी यात्रियों के मन में उस द्वीप की सुन्दरता का अवलोकन करने की बेचैनी और बेताबी थी, जिसके बारे में उन्होंने काफी चर्चायें सुन रखी थी | यह अजीब संयोग था कि इधर हम लोग उतर कर तट पर पहुँचे उधर बरखा रानी ने रिमझिम फुहारों से हमारा स्वागत किया | हमारे साथ गाइड के रूप में मि. जैनल थे जो इस द्वीप के बारे में विविध तथ्यों से हमें अवगत कराते चल रहे थे |

अंडमान समुद्र के दक्षिण और स्ट्रेट्स ऑफ मलक्का के उत्तर तथा मलेशिया और थाईलैण्ड की सीमा के बीच यह लंकावी द्वीप स्थित है | इस द्वीप के उत्तर में कुछ ही कि.मी. की दूरी पर थाई द्वीप कोटा रूटवा स्थित है | वैसे कुल मिलाकर द्वीपों की संख्या 104 है जिनमें दो पुलाव दयांग बंटिंग और पुलाव बेरस बसा काफी बड़े द्वीप हैं और सब छोटे-छोटे | इसमें एक मलेशिया का स्वच्छ जल का जलाशय भी है | सभी द्वीपों का क्षेत्रफल करीब 538 वर्ग कि. मी. है | मुख्य द्वीप के मध्य-पूर्वी क्षेत्र में गुनांग राया सबसे ऊँचा है जिसकी ऊँचाई समुद्र-तल से 890  मी. मापी जाती है | यहाँ के समुद्र तट को ईगल स्क्वायर कहा जाता है और यहाँ एक पहाड़ से दूसरे पहाड़ की यात्रा के लिए केबल कार की भी व्यवस्था है | यह कार गुनांग मेट सिन सांग से चलती है | समुद्र तल से 705  मी. की ऊँचाई पर इस केबल कार से यात्रा करना यात्रियों के लिए एक रोमांचक अनुभव होता है |

यह स्थान वास्तव में बहुत सुन्दर है | यहाँ मलेशिया के चौथे प्रधानमंत्री महाथीर मुहम्मद के 2500  कीमती उपहार परडाना की गैलरियों में सुरक्षित रखे गये हैं | मि. जैनल ने बताया कि लंकावी के कई अर्थ होते हैं | लेंग+कावी दो अक्षरों से बने इस शब्द का अर्थ है, संगमरमर की चील | इसमे लेंग का अर्थ चील और कावी का अर्थ संगमरमर है | वैसे संगमरमर मलेशिया में बहुतायत पाया जाता है | मूल शब्द हेलेंग कावी था जो लोक भाषा में लेंकावी हो गया | इसे लोक प्रचलन के अनुसार चील का द्वीप भी कहा जाता है | इसका कारण है कि इस द्वीप के आकाश में असंख्य चीलें मंडलाती रहती है | क्वा नगर के ईगल स्क्वायर में चील को प्रतीक-चिह्न के रूप में निर्मित किया गया है | कावी का एक अर्थ ब्राउन अर्थात भूरा भी बताया जाता है जो चीलों का विशेष रंग होता है | मलेशिया के अन्य द्वीपों की अपेक्षा यहाँ का मौसम स्थिर माना जाता है | यहाँ कभी-कभी ही वर्षा होती है और बादल आकाश में छाये दिखाई देते हैं | इस वजह यहाँ साल के बारहों महीने दुनिया भर से सैलानी आते रहते हैं | वातावरण हमेशा स्वच्छ रहता है और जलवायु स्वास्थ्य-वर्धक मानी जाती है | यहाँ छ: महीने की शीत-ऋतु होती है और छ: महीने का ग्रीष्म-काल होता है | यहाँ दिन का अधिकतम तापमान हमेशा 30 से 35 सेंटीग्रेड के बीच बना रहता है और रात का तापमान 28 से29 सेंटीग्रेड के बीच होता है | यहाँ के वातावरण में उमस बहुत होती है | बारिश अधिकतर सितम्बर-अक्टूबर में होती है क्योंकि उसी समय मानसूनी हवायें बहती हैं | समतुल्य तापमान के कारण यात्रियों के लिए भ्रमण करना अधिक सुगम होता है | वैसे अप्रैल से अगस्त के मध्य का समय बारिश कम होने के कारण बेहतर माना जाता है |

पर्यटन स्थल के रूप में सन 1987 तक लंकावी दुनिया के लिए अज्ञात था, लेकिन इसकी विशेषताओं का संज्ञान लेते हुए मलेशिया सरकार ने पर्यटक-केन्द्र के रूप में बड़ी तेजी से इसका विकास किया और यह सन 1990 तक बनकर तैयार भी हो गया | इअसके लिए सरकार की ओर से ड्यूटी-फ्री दूकानों, अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा तथा फेरी बोटों का निर्माण कराया गया | इसके चलते आज लंकावी पिनांग द्वीप से भी ज्यादा आकर्षक हो गया है | हमने लंकावी द्वीप की यात्रा-क्रम में महसुरी का मकबरा देखा, जिसके बारे में कहा जाता है कि उसने अपनी मृत्यु के पहले यहाँ के लोगों को शाप दिया था कि उन पर सात पीढ़ियों तक दुर्भाग्य की छाया रहेगी | कहा जाता है कि इस महिला पर यहाँ के लोगों ने चरित्रहीन होने का आरोप लगाया था | लंकावी केदाह के राजा के अधिकार में थी | 1821 में सियाम ने इसे आक्रमण कर अपने अधीन कर लिया, सन 1909 के एक समझौते के तहत यह ब्रिटिश अधिकार में आ गई जिसे द्वितीय महायुद्ध के दौरान जापानियों ने अपने अधिकार में ले लिया | यहाँ थाई भाषा और संस्कृति का प्रभाव अधिक है और रहन-सहन तथा खान-पान भी थाईयों जैसा ही है |

इस द्वीप की प्राकृतिक शोभा से लगभग हर पर्यटक चमत्कृत रह जाता है | यहाँ सेवन वेल्ससे जाने जाने वाले सात झरने हैं जिनकी यात्रा हमें फेरी बोट से करनी पड़ी थी | झरनों का जल कितना पारदर्शी और शीतल था, उसका वर्णन कर पाना कठिन है | इनकी फुहारों का आनंद शरीर और आत्मा दोनों को विमल कर देता है | यहाँ आल फ्रेस्को डायनिंग, अवाना पोर्टो मलय के वाटर पर बोर्ड वॉक भी कर सकते हैं | हमने भी पैदल चलकर अपने को आह्लादित किया | इतना कुछ का आनंद उठाने के बाद हमारी बस लंकावी की सड़कों पर दौड़ने लगी | सड़क के दोनों तरफ हरे-भरे धानों के खेत मन को विभोर किये दे रहे थे | इसी क्रम में हमने यहाँ के अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का भी अवलोकन किया |

लंकावी की जनसंख्या अस्सी हजार के करीब है | इसमे पाँच प्रतिशत के करीब चीनी और भारतीय मूल के लोग हैं और बाकी मलेशियन हैं | हमारा यात्री दल अटमालम होते हुए क्वा पहुँचा | क्वा क मुकाबले अटमालम बड़ा नगर है और उसकी आबादी दस हजार के लगभग है | वहीं क्वा की आबादी पाँच हजार से अधिक नहीं है | यह नगर धान के मीलों, रबड़ की फैक्ट्री, फलों के बागान तथा लोकल कौंसिल की वजह से ज्यादा प्रसिद्ध हैं |

इस क्रम में हम यहाँ के सर्वाधिक सुन्दर और प्रसिद्ध स्थान ईगल स्क्वायर देखने पहुँचे | यहाँ पहूँचते ही हमें यह आभास हुआ कि सचमुच लंकावी दक्षिण-पूर्व एशिया का सबसे खूबसूरत स्थान है | शांत समुद्र के साथ ही दुधिया रंगत की रेती पर सूर्य-रश्मियों की चमकीली आभा सब कुछ मन को मोह लेने वाली ही प्रतीत होती थी | सुविस्तृत समुद्र को स्पर्शित कर तट तक आने वाली मनोरम वायु सांसो को एक अभिनव सुगंध से परिपूरित कर रही थी | ऐसे में मन का प्रफ्फुलित हो जाना सहज-स्वाभाविक है | हमने ईगल स्क्वायर के उस प्रतीक-चिह्न को भी देखा जो मलय सभ्यता को कई सदियों से सार्थक बनाता आया है |यह ईगल स्क्वायर चारों ओर से तालाबों, पुलों, सुन्दर चबूतरों और हरी-भरी मखमली घासों से घिरा है | इस स्थान पर खड़े होकर समुद्र को निहारना बहुत अच्छा लगता है | विशालाकार भूरी पथरीली चट्टानों पर एक भूरे रंग की विशालाकार चील, अपना पंख खोल उड़ने-उड़ने की मुद्रा में प्रतिष्ठित है | इसे ही ईगल स्क्वायर कहा जाता है | भूरी चील की कुल ऊँचाई बारह मीटर है और ऐसा ही प्रतीत होता है कि यह जलयान से उतर कर तट पर आने वाले यात्रियों का शुभ स्वागतम करती है | लंकावी द्वीप की शोभा और यहाँ की स्वास्थ्यप्रद जलवायु तथा नैसर्गिक वातावरण दुनिया भर के सैलानियों को आकर्षित करता है | लोग अक्सर इस द्वीप पर छुट्टियाँ मनाने आते हैं | वैसे लंकावी का मुख्य नगर क्वा है जिसको एक परिष्कृत शापिंग सेंटर भी कहा जाता है | क्वा पिनांग द्वीप से आने वाले सैलानियों का प्रवेश द्वार भी है, लेकिन इसकी सबसे बड़ी कमी यह है कि यहाँ जलयानों के लिए कोई व्यवस्थित तट नहीं हैं | हमने अपनी लंकावी यात्रा को यादगार बनाने के लिए यहाँ के शापिंग मॉल से कुछ दुर्लभ वस्तुओं की खरीदारी की और फिर वापस जलयान पर आ गए क्योंकि हमें आगे बढ़ना था |

संपत देवी मुरारका
लेखिका यात्रा विवरण
मीडिया प्रभारी

हैदराबाद

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