अमरनाथ यात्रा - सलाल बाँध परियोजना
वैष्णों देवी से लौटने के बाद कटरा से हमने
सलाल बाँध परियोजना (डैम) और शिवखोड़ी की यात्रा की योजना 5-8-2006 को तैयार की | वर्षा का प्रकोप लगातार जारी था और मौसम
यात्रा के अनुकूल
बिल्कुल नहीं था, लेकिन हमने इसकी परवाह नहीं की | हम कटरा से
बाबा अधर जिट्टो, डेरा बाबा, और
सुला पार्क होते हुए रियासी पहुँचे | यहाँ से
सीधी रोड़ सलाल बाँध परियोजना (डैम) को चली जाती थी और बायें तरफ का रास्ता शिवखोड़ी
को जाता था | यहाँ से सलाल बाँध परियोजना सिर्फ 22 कि.मी. पर था | अत:
फैसला पहले सलाल बाँध परियोजना देखने का ही हुआ | हमारी यह यात्रा एक बंद गाड़ी में
हो रही थी | उसके बंद शीशे से बाहर हो रही झमाझम बरसात का मनभावन दृश्य और दूर-दूर
तक पसरी निर्जन बनानी की हरीतिमा हमारे चर्म-चक्षुओं के सामने एक आनंद-दायक माया
लोक की सृष्टि कर रहे थे | भीगी हुई पहाड़ी सड़क और उसकी चढ़ान तथा कदम-कदम पर आने
वाले घुमावदार मोड़ कुछ भय भी पैदा कर रहे थे और कुछ रोमांच भी | ऐसा अक्सर हो रहा
था कि हम भागते बादलों की पर्तों को
ठीक अपने अगल-बगल और ऊपर-नीचे महसूस कर रहे थे | यह सारा अनुभव किसी स्वप्नलोक की
मोहक तस्वीर प्रस्तुत कर रहा था | मैंने महसूस किया कि प्रकृति माता अपने
संवेदनात्मक स्वरूप में कितनी आनंद दायक और स्पृहणीय होती है | रास्ते में ऐसा भी
संकट सामने आया कि पहाड़ी चट्टानें टूट कर रास्ते पर पसर गई थीं | हमारा ड्राइवर था
तो उनके बीच से रास्ता बना रहा था अथवा उन्हें उतर कर रास्ते से हटाता तब आगे बढ़ता
|
इन तमाम खट्टे-मीठे अनुभवों को समेटते अंतत:
हम अपने गंतव्य तक पहुँच ही गये | सलाल बाँध परियोजना माता वैष्णों देवी धाम से
पश्चिम दिशा में जम्मू-कश्मीर राज्य के उधमपुर जिले के तहसील रियासी के ध्यानगढ़
में स्थित है | इसकी दूरी जम्मू से 95 कि.मी. और कटरा से 47 कि.मी. है | इसके चारों तरफ पहाड़ियां और हिमालय के वन-प्रदेश का विस्तार
है | बाँध का निर्माण चिनाब (चंद्रभागा) नदी पर किया गया है | बाँध के पीछे चिनाब
झील है, जिसकी लंबाई 33 कि.मी. है | यह राज्य का सबसे बड़ा जल-विद्युत
उत्पादन केंद्र है | हम जब बाँध तक पहुँचे थे तो धुआंधार बारिश के चलते बाँध पूरी
तरह लबालब भरा हुआ था और उसकी सुरक्षा के लिए सभी 12 गेट एक साथ खोल दिये
गये थे | सेंकड़ों फीट ऊपर से गिरती जलधारा के प्रवाह और उसकी प्रलयंकारी गर्जना से
किसी का भी मन प्रकंपित हो सकता है | हमारा भी ह्रदय इस दृश्य का अवलोकन कर
बेतहाशा धड़कने लगा | बाँध से पानी छोड़े जाने के कारण चिनाब नदी निचले भाग में
जल-प्लावन जैसा दृश्य उपस्थित कर रही थी | चिनाब नदी जो सुदूर पाकिस्तान तक जाती
है, मैदानी भाग में किस तरह की संकटापन्न स्थिति पैदा कर रही होगी, यह सोचकर मन
सचमुच दुःखी हो गया था | हम अपनी गाड़ी बाँध के ऊपर से दूसरी पहाड़ी तक ले गये |
यहाँ कैम्पस एरिया होने के कारण इसे सुरक्षित स्थान माना जा सकता था | यह कैम्पस
भारतीय फौज
की छावनी थी |
मैंने इस बाँध की जानकारी चाही | वहाँ के एक
फौजी से बाँध का पूरा इतिहास पूछने पर उसने बताया कि इस परियोजना की परिकल्पना सन्
1920 में की थी | इस परियोजना पर व्यवहार्यता अध्ययन जम्मू
एवं कश्मीर की राज्य सरकार द्वारा सन् 1961 में शुरू किया और
निर्माण सिंचाई और बिजली मंत्रालय के अधीन केंद्रीय जल-विद्युत परियोजना नियंत्रण
बोर्ड द्वारा सन् 1970 में शुरू किया गया था | पूर्ण होने के पश्चात
इसे प्रचालन तथा अनुरक्षण हेतु स्वामित्व के आधार पर एन.एच.पी.सी. (नॅशनल
हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन) को सौंप दिया गया | परियोजना के प्रथम चरण में 115 मेगावाट की 3 विद्युत इकाइयां सन् 1987 में लगाईं गई थी | दूसरे चरण में 115 मेगावाट की 3 और इकाइयां लगाईं गई हैं | दूसरे चरण में परियोजना की पहली इकाई सन् 1993 में, दूसरी सन् 1994 में और तीसरी सन् 1995 में लगाईं गई | अंत में सन् 1996 में इसे आधिकारिक
तौर पर चालु कर दिया गया | इसके निर्माण में 9 अरब 28 करोड़ 89 लाख रुपयों का खर्च हुआ था | इसके निर्माण को
पूरा करने में ठेकेदारों सहित लगभग 12,000 कर्मियों ने
दिन-रात काम किया था | इस परियोजना से जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली,
हिमाचल-प्रदेश, चंडीगढ़ तथा राजस्थान लाभान्वित होने वाले राज्य हैं | इसकी के.वी.
मशीनें 6 हैं, प्रत्येक की क्षमता 115 मेगावाट की है |
फौजी ने आगे बताया कि रॉकफिल बाँध की ऊँचाई 118 मीटर और लंबाई 630 मीटर है और कंकरीट बाँध की ऊँचाई 113 मीटर और लंबाई 450 मीटर है | इसके शीर्ष पर 12 स्पिलवे (गेट) बनाये गये हैं, और प्रत्येक की लंबाई 220 मीटर की है | जिसका सलाल पन बिजली स्टेशन पर, बाँध से अतिरिक्त जल निकालने
के लिए उपयोग किया जाता है | इनके फाटक के प्रकार रेडियल है | इनके शीर्ष की ऊँचाई
495.91 मीटर है और इनकी नींव की गहराई 383 मीटर है | पूर्ण जलाशय स्तर की क्षमता 487.68 मीटर है और
अधिकतम जल-स्तर 494.08 मीटर है | पावर बाँध की लंबाई 105 मीटर है और गैर अति प्रवाह बाँध की लंबाई 125 मीटर है | पावर
स्टेशन सलाल में 6 इकाइयों का निर्माण किया गया हैं और प्रत्येक
इकाई की निर्धारित क्षमता 115 मेगावाट है | प्रत्येक की लंबाई 279 मीटर और व्यास 5.23 मीटर है | यहाँ 690 मेगावाट बिजली पैदा की जाती है | इनका सलाल पावर स्टेशन बाँध में टुटर्बिंन
से गशिंग जल ले जाने के लिए उपयोग किया जाता है | यहाँ 2 टेलरेस सुरंग का निर्माण भी किया गया है | प्रथम सुरंग की लंबाई 2.463 कि.मी. और द्वितीय सुरंग की लंबाई 2.523 कि.मी. है | इनका आकार घोड़े की नाल जैसा है और व्यास 11 मीटर है | इतनी अधिक जानकारी प्राप्त करने के बाद उन्होंने हमसे कहा की
अगर बरसात नहीं होती तो हम आपको पूरा बाँध दिखा देते थे, लेकिन हम मजबूर हैं |
अंदर जाने में खतरा हो सकता है|हमने उनसे शिवखोड़ी तक पहुँचने के मार्ग के बाबत
जानकारी चाही,तब उन्होंने बताया कि पुल पार कर एक दूसरी पहाड़ी पर जाना होगा और
वहाँ से तलवाड़ा होते हुए शिवखोड़ी जाया जा सकता है |
प्रस्तुत कर्त्ता
संपत देवी मुरारका
अध्यक्षा, विश्व वात्सल्य
मंच
लेखिका यात्रा विवरण
मीडिया प्रभारी
हैदराबाद
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