कोलायत
पोकरण
से लगभग 186 कि.मी. की दूरी तय कर कोलायत पहुँचे | हम
सभी रात्रि के 11 बजे पहुँचे थे इसलिए हमने यहाँ की एक
धर्मशाला में विश्राम किया | सुबह उठकर पौराणिक ऋषि कपिल मुनि से संबंधित एक
महत्वपूर्ण स्थान कोलायत मंदिर का दर्शन करने के लिए रवाना हुए | कोलायत में
प्रत्येक वर्ष की कार्तिक पूर्णिमा को यहाँ मेला लगता है और भारी संख्या में
श्रद्धालु कपिल मुनि को अपनी श्रद्धा निवेदित करने यहाँ उपस्थित होते हैं | इस
मेले में ऊँटों का भी एक मेला लगता है और दूर-दूर के व्यापारी यहाँ खरीद-फ़रोख्त
करने आते हैं | पूर्णमासी के दिन यहाँ कोलायत झील में स्नान करने का बड़ा महत्त्व
है | सरस्वती नदी का अंतिम छोर माना जाता है | यह नगरी कोशी गोत्र के ब्राह्मणों
की कही जाती है | हमने कपिल सरोवर में स्नान कर वहाँ की सजी-धजी नौकाओं में
नौका-विहार करने के पश्चात कपिल मुनि के मंदिर अपनी श्रद्धा निवेदित करने उपस्थित
हुए |
गर्भगृह
में कपिल मुनि जी की मूर्ति प्रतिष्ठित है | इनके दाहिनी तरफ गरुड़ जी की मूर्ति
अवस्थित है और बाईं तरफ वशिष्ठ जी की मूर्ति स्थापित की गई है | कांच के चेम्बरों
में श्रीराधाकृष्ण, राम लक्ष्मण जानकी और हनुमान, शिवजी, मीरा जी, दुर्गाजी और
दसभुजाओं में शस्त्र धारण किये पंचमुखी माता जी के श्री विग्रहों की भी स्थापना की
गई है | मंदिर परिसर में एक छोटा सा माता देवहुति का मंदिर अवस्थित है | कहा जाता
है कि डे गाँव में देवहुति आश्रम है, वहाँ जापा नहीं होता, बिलौना नहीं करते हैं
और माचे (पलंग) पर सोते नहीं हैं | कहा जाता है कि यात्रा गाँव में दत्तात्रेय,
याज्ञेरी में याज्ञ वल्लभ और चानी गाँव में चमन ऋषि के आश्रम अवस्थित हैं | यहाँ
पूजा-अर्चना की | अपनी श्रद्धा निवेदित कर बीकानेर की तरफ आगे बढ़े |
संपत
देवी मुरारका
अध्यक्षा
इण्डिया काईइंडनेस मूवमेंट
लेखिका
यात्रा विवरण
मीडिया
प्रभारी
हैदराबाद
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