Wednesday 8 August 2018

अमरनाथ यात्रा - गुलमर्ग



अमरनाथ यात्रा - गुलमर्ग
हामारा आगे का सफर गुलमर्ग जिसका अर्थ ‘फूलों की घाटी’ होता है, का था | यह जगह श्रीनगर से 56 कि.मी. दूर है और समुद्रतल से इसकी ऊँचाई 2650 मीटर की है | गुलमर्ग की गणना दुनिया के सबसे खुबसूरत हिल स्टेशनों में की जाती है | चारों तरफ हिमाच्छादित पर्वत श्रेणियाँ और उनकी तलहटी में सुविस्तृत हरा-भरा घास का मैदान तथा ऊँचे-ऊँचे वृक्षों की लंबी कतारें इस स्थान को नंदन-कानन जैसा बना देती है | इसके मैदान से सटे कई प्रसिद्ध गोल्फ के मैदान हैं, जहाँ दुनिया के प्रसिद्ध खिलाड़ी आते रहते हैं | सर्दियों में जब बर्फबारी होने लगाती है तो गुलमर्ग और भी खुबसूरत लगने लगता है | यहाँ के होटलों में बर्फबार देखने आने वाले पर्यटकों की भीड़ लग जाती है | दुधिया रंग की बर्फ की चादर ओढ़े इसके मैदान एक नयी सौन्दर्य रचना का आयाम प्रस्तुत करते हैं | हमने भी सन् 1982 के मार्च महीने में यह लुत्फ उठाया था | मुग़ल सम्राट जहाँगीर इस खूबसूरती पर बिल्कुल फिदा हो चुका था | वैसे अक्तूबर से मार्च तक मौसम बहुत खुशगवार होता है | सर्दियों में यहाँ स्कीईंग करने वाले लोगों की भी आमद बड़ी संख्या में होती है | गुलमर्ग जितना प्रिय मुग़ल बादशाहों का था, उससे कहीं अधिक प्रिय वह अंग्रेजों को भी था | ऊँचे-ऊँचे अंग्रेज अदिकारी अपनी गर्मी की छुट्टियाँ यहाँ व्यतीत करने आया करते थे | सन् 1904 में अंग्रेजों द्वारा स्थापित ‘गुलमर्ग गोल्फ क्लब’ आज भी दुनिया के गोल्फ मैदानों में सर्वाधिक प्रतिष्ठा परक माना जाता है | रास्ते भर रिमझिम बरसात होती रही थी और यहाँ भी मौसम वैसा ही था | हमने रेनकोट पहन रखी थी | हमने पूरा इलाका घूमने के लिए दो घोड़े किराये पर लिए | घोड़े की पीठ पर बैठने का यह मेरा अनुभव कुछ डर भी पैदा कर रहा था, लेकिन आश्वस्त मैं इस बात से थी कि घोड़ा वाला हमारे साथ चल रहा था | वह हमें यहाँ एक स्थान पर ले गया और वहां से 5 कि.मी. नीचे ‘बाबा ऋषि’ की ‘जिरत बाबा ऋषि’ दरगाह दिखाते हुए उसने बताया कि इनकी जियारत हिन्दू-मुसलमान समान रूप से करते हैं | यह दरगाह घने जंगल के बीच है | कुछ लोगों ने ऋषि का नाम ‘फदामुद्दीन’
बताया | रास्ते में घोड़े वाले ने हमें कई अन्य महत्त्वपूर्ण स्थानों का अवलोकन कराया, जिसमें
खिलगमर्ग, ऐलपत्थर झील, फिशिंग लेक, स्टावर वैली, कश्मीर वैली, चिल्ड्रेन पार्क, फौज के रिहायशी शिविर और विहार स्प्रींग वैली इत्यादि जगहें शामिल थी | इस तरह घूमते- फिरते गोल्फ गार्डेन देखते हुए हम गण्डोला पहुँचे | सच तो यह है कि हमारी यह गुलमर्ग यात्रा इसी गण्डोला को केंद्र में रखकर हुई थी | लगभग 3 बजकर 10 मिनट पर हम यहाँ गण्डोला कार में बैठे | पाइन वृक्षों की ढलान पर इस कार में सैर करने का आनंद ही कुछ और था | इसकी गति कितनी तेज थी, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि महज 13 मिनट में हम कोंगडोरी पहुँच गए |
      कोंगडोरी समुद्रतल से 10050 फीट की ऊँचाई पर स्थित है | इस जगह से ‘सन साइन पीक’ दिखाई देता है | पाइन वृक्षों की ढलान पर स्थित इस स्थान को देखने पर्यटकों का दल सदैव आता रहता है | यहाँ के बाद हम पुन: गण्डोला कार में बैठकर अक्षरवट गये, जिसकी ऊँचाई 14500 फीट है | इसको दुनिया का सबसे ऊँचा स्थान माना जाता है | हमने इस ऊँचाई पर पहुँच कर अपने को गौरवान्वित महसूस किया | साथ ही मानवीय विकास की सराहना भी की, जिसके चलते दुनिया की सारी ऊँचाइयाँ बौनी हो गई है | मुझे पल भर में जुलाई 2004 में यू.के. की यात्रा स्वीट्जरलैंड के -----की याद ताजा हो आई जो ऊँचाई पर स्थित है | हम कोंगडोरी होते हुए वापस गुलमर्ग आ गये | हमने यहाँ कुछ चाय नाश्ता किया और हाउसबोट तक पहुँचने के पहले शंकराचार्य मंदिर जाने का भी निश्चय किया, लेकिन हमें जिस रास्ते से जाना था वह सायंकाल 5 बजे के बाद प्रतिबंधित हो जाता था | अतएव हमें अपना कार्यक्रम बदल कर हाउसबोट की ओर ही जाना पड़ा  |

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