Wednesday, 8 August 2018

अमरनाथ यात्रा – सोनमर्ग




अमरनाथ यात्रा – सोनमर्ग
 एक बार फिर तेज रफ्तार भागते वाहन के साथ पीछे की ओर दौड़ते सुंदर दृश्यों से हमें मुखातिब होना पड़ा। रास्ते में एक केंद्रीय रिजर्व बल की छावनी भी देखने को मिली। मन में यह भाव जरूर उठा की भारत माता के ये सपूत देश की सीमा पर रक्षा में कितने समृद्ध और तत्पर हैं। सड़क अच्छी थी, इस कारण वाहन को तेज रफ्तार भागने में कोई दिक्कत नहीं थी। जिस रास्ते से हम जा रहे थे वास्तव में वह श्रीनगर को लेह से जोड़ने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग था। इसी रास्ते एक पुल से गुजरते हुए हमने देश की सर्वाधिक प्रसिद्ध सिंधु नदी का भी दर्शन किया। बरसात के मौसम में यह नदी अपने तटबंधों को पार कर एक असीमित विस्तार में प्रवाहित हो रही थी। इस क्रम में हमें सोनमर्ग पहुंचते-पहुंचते सांझ हो गई। अंत: इस दिन विश्राम करना ही उचित समझा गया।
       श्रीनगर से सोनमर्ग की दूरी लगभग 102 कि.मी. है। समुद्र तल से यह स्थान 2730 मीटर की ऊंचाई पर है। सोनमर्ग का अर्थ "सोने की घाटी" होता है और उसका निहितार्थ धरती का यह छोटा सा टुकड़ा सत्य सिद्ध करता समझ में आता है। इस घाटी की शोभा अपनी स्वर्णिम आभा के साथ अतुलनीय है। इस भूमि का जुड़ाव भौगोलिक रूप से सिंधु नदी की घाटी से भी है। यहां से होती हुई सिंधु नदी अपना अविरल प्रवाह तथा वेग के साथ समतल मैदानी इलाके में उतर जाती है। यह कई प्रसिद्ध झीलों का उद्गम स्थल भी है, जिसमें बिशनसर, कृष्णसर, गाडसर, सतसर और गंगा बल जैसी झीलें काफी प्रसिद्ध है। यहां स्थापित अभ्यारण्य पर्यटकों के लिए एक विशेष आकर्षण का केंद्र है। सोनमर्ग चारों तरफ से बृहदाकार पर्वत श्रृंखलाओं से घिरा हुआ है। पर्वत श्रृंखलाएं बर्फ से ढकी दिखाई देती है। नीचे किसी मुलायम रेशमी कालीन की तरह घासों का प्रसार है। देवदार के घने जंगलों के बीच नाचती-कूदती और अठखेलियां करती सिंधु नदी का उद्वाम प्रवाह, हर तरफ रंग-बिरंगे अपरिचित सुगंधो से भरपूर फूलों का अभिनव दृश्य, सब मिलकर जिस संसार की रचना होती है उसे स्वर्णिम नहीं तो और कहा भी क्या जा सकता है। सच यही है कि इन सारे दृश्यों के गुंजलक में हम भाव-विभोर स्थिति में कहीं गुम हो गए थे। यहां से घोड़े अथवा खच्चर के जरिए थाजीवास ग्लेशियर तक की यात्रा भी की जा सकती है। यह ग्लेशियर सोनमर्ग से कहने को सहज 3 कि.मी. की ही दूरी पर है, लेकिन इस रास्ते की चढ़ाई बहुत कठिन है। यहां मौसम अक्टूबर से मार्च तक बहुत खुशगवार रहता है। इस समय प्राकृतिक शोभा का आनंद लूटने वाले पर्यटकों की भीड़ बढ़ जाती है। थाजीवास से लौटने के बाद हम एक रेस्टोरेंट में चाय-नाश्ता करने के बाद कुछ सुस्ताये। सोनमर्ग से 10 कि.मी. दूर एक सड़क ऊपर जोजिला की तरफ से होती हुई कारगिल चली जाती है। इसका एक तरफ जुड़ाव श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग से होता है तो दूसरी तरफ यह बालटाल चली जाती है। बालटाल से एक रास्ता पवित्र अमरनाथ की गुफा को जाता है, लेकिन यह रास्ता बहुत सुनसान है और इस पर जाते हुए डर लगता है। हमने यह खतरा इस कारण मोल लिया क्योंकि रास्ते के प्राकृतिक दृश्यों ने हमें सचमुच सम्मोहित कर दिया था।

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