Tuesday 29 July 2014

लाल किला-यात्रा दिल्ली की

गतांक से आगे 





लाल किला-यात्रा दिल्ली की

दुसरे दिन सुबह जगने के बाद हम फिर अगली यात्रा के लिए जल्दी-जल्दी तैयार हो गये | आज हमें शुरुआत लाल किला से करनी थी, अत:सबसे पहले हम वहीं पहुँचे | मुझे पल में 1969 में पति के साथ की गई यात्रा याद आ गई | लाल किला पुरानी दिल्ली में स्थित है और यह यमुना नदी के किनारे अष्टकोणीय आकार में निर्मित किया गया है | लाल बलुआ पत्थरों से बनी इसकी दीवार का प्रसार 2.4 किलोमीटर में है | इस किले का निर्माण मुग़ल बादशाह शाहजहाँ ने आगरा से अपनी राजधानी दिल्ली स्थानांतरित करने के लगभग नौ साल बाद किया | किले की बुनियाद सन् 1639 में राखी गई और यह 1648  में बनकर तैयार हुआ | शाहजहाँ को नक्काशीदार पत्थरों और संगमरमर से इमारतें बनवाने का बहुत शोक था | विश्व विख्यात ताजमहल का निर्माण भी शाहजहाँ ने ही करवाया था | लाल किला और ताजमहल दोनों ही इस देश की स्थापत्य कला के ऐसी धरोहरें हैं, जिनकी सराहना समूचा विश्व-समुदाय करता है | किले के ठीक सामने दिल्ली की सबसे प्रसिद्ध मार्केट चाँदनी चौक है | किले में दो प्रवेश द्वार हैं, एक दिल्ली गेट और दूसरा लाहौरी गेट | इस किले के निर्माण में कितनी दौलत खर्च हुई होगी, इसका अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि फ्रांसीसी यात्री वार्नियर ने लाल किले की सिर्फ छतों की नक्काशी और कलात्मक साज-सज्जा की फ्रांसीसी मुद्रा में 75 करोड़ फ्रैंक आंका था | इसे भारतीय मुद्रा में कई खरब माना जा सकता है | लाल किले में दीवाने-आम, दीवाने-ख़ास, मोती मस्जिद, रंग महल, मुमताज महल जैसी बेहतरीन इमारतें तो है ही, सबसे अधिक आकर्षित करने वाली इमारत शाही हमाम है, जिसे तिन भागों में बाँटा गया है | इन तीनों हिस्से में अलग-अलग ढंग के फव्वारे लगे हैं, जिनसे अलग-अलग सुगंधियों वाला जल प्रसारित होता है | इन सभी हिस्सों में नहरों और पाइप के जरिये जो पानी पहुँचाया जाता है, उनमें गर्म पानी और ठंडे पानी का श्रोत अलग-अलग है | इसे उस युग की तकनीक का कमाल ही कहा जायेगा | लाल किला का महत्त्व स्वतंत्र भारत में इस कारण अभिनंदनीय है कि सन् 1947 में 15 अगस्त की रात को देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं.जवाहरलाल नेहरू ने इसी लाल किले की प्राचीरों से देश की स्वतंत्रता की घोषणा की थी, स्वतंत्र भारत में इसका निर्वाह परंपरानुसार अब भी हो रहा है और देश के प्रधानमंत्री प्रत्येक 15 अगस्त को इसी लाल किले पर राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराते हैं |

क्रमश:
संपत देवी मुरारका
लेखिका यात्रा विवरण
मीडिया प्रभारी
हैदराबाद

No comments:

Post a Comment